आखिर क्या चाहते हैं छत्तीसगढ़ सरकार से पटवारी?

छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग के प्रमुख कर्मचारी यानी पटवारियों का 15 मई 2023 से लगातार अनिश्चितकालीन हड़ताल में है, इतने high-temperature में हड़ताल करने पर मजबूर है,,। पटवारियों के द्वारा हाथों में काली पट्टी बांधकर के धरना पर बैठे रहे, डिमांड इनकी कई सूत्रीय है पर प्रमुख रूप से, प्रमुख रूप से देखें वेतन विसंगति एवं वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति एवं सामान्य स्टेशनरी भत्ता,, एवं मुख्यालय निवास की बाध्यता समाप्त, बिना किसी विभागीय जांच के f.i.r. ना हो। श्री गुरु ग्लोबल न्यूज़ ने उनके हड़ताल स्थल पर पहुंचकर पटवारियों से चर्चा किए और समस्या के बारे में जाने तो कर्मचारियों ने बताया हम लोगों को, एक हल्का के अलावा कई अन्य हल्का पर अतिरिक्त प्रभार दे दिया जाता है और काम का अधिक बोझ रहता है। अतिरिक्त हल्का का काम करते हुए हम लोग शासन का पैसा बचा रहे हैं, फिर भी हम लोगों को स्टेशनरी भत्ता कागज कलम का अन्य खर्चा जो अपनी तरफ से हो जाता है वह भी नहीं मिलता।_अब देखे तो किसानी खरीफ फसल की नजदीक आ रही है किसानों के लिए पटवारियों का जरूरत है इस समय बैंक कर्ज निकालने के लिए किसानों को दिक्कत हो रहा है हड़ताल की वजह से कई प्रकार की दिक्कतें शुरू हो गई है। रिण निकालने के लिए कई दस्तावेज पटवारी के माध्यम से ही होता है।

प्रमुख रूप से देखें तो इनकी वेतन विसंगति,, इसका मतलब है काम के आधार पर वेतन असामान्य है इसमें 19 और 20 का फर्क नहीं जमीन और आसमान का फर्क है,, काम के आधार पर देखें सभी कर्मचारियों समय पर ड्यूटी और समय पर छुट्टी होती है। यानी जनता के सेवा के कार्य में सभी कर्मचारी रहते हैं परंतु वेतन में काफी फर्क रहता है, और यह समस्या राजस्व विभाग ही नहीं प्राया: सभी विभाग में यह समस्या है, यह समस्या केवल राज्य का नहीं या केवल क्षेत्र का नहीं और यह समस्या केंद्रीय राष्ट्रीय स्तर एवं अन्य राज्यों में भी, समस्या है समय-समय पर सभी विभाग में यह बातें उठती है। चाहे कोई भी विभाग हो, जब भारत आजाद हुआ तब काम के हिसाब से पद के हिसाब से वेतन का मूल्य निर्धारण हुआ, ऑफिस एक ही है काम सब को समय पर करना है जैसे चपरासी झाड़ू पोछा लगाएगा उसको अलग बाबू रहेगा उसको अलग जो बड़े साहब रहेंगे उसको अलग है इसमें काफी अरक_फरक है परंतु कार्य तो सबका बराबर है, और,वेतन विसंगति मतलब इसमें जमीन और आसमान का वेतन में फर्क फर्क है और आपत्ति इसी बात पर है। प्रदेश सरकार के लिए वेतन विसंगति दूर करने के लिए समस्या का हल अभी तक नहीं मिला है, क्योंकि अन्य कर्मचारी अधिकारियों का वेतन कटौती कर नहीं सकते और किसी का और बढ़ा देंगे तो राजस्व का पूर्ति कहां से होगा पैसा कहां से आएगा, आर्थिक बोझ को किस प्रकार के दूर किया जा सकता है इसका हल अभी तक फिलहाल नहीं निकल पाया है। पटवारी मुख्यतः किसानों से जुड़े हुए हैं और किसान को प्रभावित कर रहे हैं उम्मीद है शासन इनकी मांगे को कुछ हद तक पूरा कर सके क्योंकि आने वाले समय में चुनाव है और चुनाव से पहले हर कर्मचारी अपने मांग शासन तक पहुंचाना चाहती है, क्योंकि सरकार नया आ जाने के बाद 4 साल तक तो ऐसे कर्मचारियों के ऊपर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जाता चुनाव में सभी कर्मचारियों को यह उम्मीद रहता है सरकार जरूर करेगी।

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