निलंबित करना सजा नहीं मजा है?

सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को यह नियम है किसी भी गलत कृत्य एवं भ्रष्टाचार एवं अन्य अपने पद का दुरुपयोग करने का कोई भी मामला आता है तो उनको निलंबित कर दिया जाता है, ऐसा ही मामला आया है फूड इंस्पेक्टर कांकेर जिले के पखांजूर क्षेत्र से, जिसने अपने मोबाइल ढूंढने के लिए हजारों लीटर पानी बर्बाद कर दिया। जल संसाधन विभाग में तो यह नियम है आप बिना अनुमति के किसान भी ना मोटर कनेक्शन चला सकते हैं ना डीजल इंजन से सिंचाई कर सकते हैं परंतु यह अफसर ने तो पानी ना सिंचाई करने के लिए ना कुछ लाभ के लिए बल्कि फिजूल के लिए डीजल बर्बाद करते हुए पानी बर्बाद किए। लेकिन यह नियम बिना अनुमति के सिंचाई डीजल इंजन नहर लाइन में भी ना डैम में भी नहीं लगा सकते पर यह केवल किसानों की लागू होता है पर इन पर क्या जल संसाधन विभाग कार्यवाही करेगी? जनता को यही लगता है कि निलंबित करना एक सजा है लेकिन उनको आधा तनखा मिलता है जितने दिन तक निलंबित रहता है और फिर उसको जॉइनिंग होगा यानी बहाल होना निश्चित है और कोई मनोवैज्ञानिक ढंग से देखें तो कोई बड़ा सजा नहीं है और आज तक इस अधिनियम में कोई संशोधन नहीं किया गया है इसमें दोषी शासन और प्रशासन है क्योंकि बार-बार यह मामला किसी न किसी जगह आते ही रहता है.? भारतीय दंड संहिता इसलिए बनाया गया है ताकि कानून का डर हमेशा रहा रहना चाहिए और किसी भी प्रकार का गलत कार्य ना हो पर कानून केवल गरीब आदमी के लिए है और अमीर और रहीस अफसर के लिए कानून खिलौना के समान है.।

फोटो से यह कभी नहीं कह सकते कि इनका पिस्टल असली है या नकली है, सामने वाला आदमी यह कह सकता है या नकली पिस्टल है केवल फोटो खिंचवाने के लिए लिया गया है, मीडिया के माध्यम से पता चला है कि पुलिस प्रशासन ने इनके नोटिस दिया है सफाई देने के लिए, अगर इनका पिस्टल लाइसेंसी है तो यह केवल दुरुपयोग है इस प्रकार के हथियार क्या प्रदर्शन क्या उचित है, पुलिस अफसर के पास भी हथियार होता है परंतु प्रदर्शन कभी नहीं करते, इनका प्रदर्शन करना मनोवैज्ञानिक ढंग से दिखाई दे रहा है धौंस दिखाना दबंगई दिखाना और अपने आप को तीसमारखां समझना है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विटर के जरिए जानकारी दिया संबंधित फूड इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया। भाजपा इस पर राजनीति कर रही है परंतु यह फोटो से स्पष्ट दिखाई देता है भाजपा और कांग्रेस के लिए निलंबित करना ठेंगा ही है। यह तो आजादी से 75 साल से यही हो रहा है निलंबित कर दिए परंतु उनको आधा तनखा मिलता है जनता का पैसा बिना काम किए मिलता है इसमें सजा कहां है इसमें तो मजा है, बीजेपी और कांग्रेस को इसमें राजनीति ना करके इस पर कोई ठोस कानून और नियम को संशोधन जब तक नहीं करेंगे तो ऐसे ही आने वाला समय में और अधिकारी और कर्मचारी ठेंगा ही दिखाएंगे। यह प्रशासन और शासन के लिए आजादी के बाद का केवल ठेंगा है केवल निलंबित करना।

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