जिला गरियाबंद में इन दिनों हार्वेस्टर से रवि फसल की धान की कटाई हो चुकी है और आग लगने की घटनाएं पराली में दिखाई दे रही है। इसमें देखें तो पूर्व की रमन सरकार एवं वर्तमान की भूपेश बघेल सरकार किसी भी प्रकार का दिशानिर्देश और स्थल पर काम बिल्कुल दिखाई नहीं देता मात्र केवल प्रचार के लिए बस होता है। और आज भी बेखौफ चल रही है। इसमें वायु प्रदूषण के साथ-साथ पशुओं के चारों में भी नुकसान होता है। ऊर्जा का एक प्रकार का नुकसान है। एवं आग बुझाने के लिए आग नियंत्रण करने के लिए किसी भी प्रकार का कोई ठोस कदम प्रशासन और शासन के द्वारा अब तक नहीं उठाया गया है और आग लगने की घटनाएं रोकने के लिए कोई ठोस कदम स्थल पर कारगर साबित नहीं हो रही है ना किसानों को जागरूकता करने में सरकार विफल भी है। रवि फसल के पराली को आसानी से रसायनिक डाल कर के बारिश के मौसम में चढ़ाया जा सकता है उसको खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है पर इनका शासन कृषि विभाग राजस्व विभाग किसी भी प्रकार का जागरूकता अभियान किसानों के बीच नहीं हो रही है। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार नरवा घुरवा बाड़ी के अंतर्गत महत्वकांक्षी योजना चला रही है परंतु इसको सुधार के लिए सुझाव भी तो नहीं ले रही है। किसानों को मनरेगा योजना के माध्यम से भी प्रणाली इकट्ठा किया जा सकता है गौठाण में परंतु इसमें भी, फोटो खिंचवाने वाला रोजगार बन चुका है फोटो खींच आओ घर जाओ काम करो या ना करो। गौठान में मनरेगा के अंतर्गत कितना काम हो रहा है कितना प्रोग्रेस है यह स्पष्ट दिखाई बिल्कुल नहीं देता।

छत्तीसगढ़ में बजट के बाद न्यूज़ आया था एक किसान का बेटा बेहतर अर्थशास्त्री हो सकता है। तो भूपेश बघेल मुख्यमंत्री कैसे अर्थशास्त्री हैं जब उनके राज्य में किसान पराली में आग लग रहा है जो ऊर्जा का नुकसान है एवं पशुओं का चारा के साथ-साथ पर्यावरण का नुकसान है। ब्यूरोक्रेसी आपके नियंत्रण में नहीं है बल्कि आपका सबसे अधिक विधायक है एक तिहाई से अधिक मजबूत सरकार छत्तीसगढ़ में चल रहा है। ऐसे मजबूत सरकार बेहतर गुड गवर्नेंस हो सकती है पर आपका महत्वकांक्षी योजना नरवा घुरवा बाड़ी किसानों के लिए बेहतर कार्य में कुछ प्रश्न चिन्ह जरूर लग रहा है? इन सब को बेहतर पॉलिसी से रोका जा सकता है समिति और किसानों से मदद लिया जा सकता है किसानों को जागरूक किया जा सकता है एवं इन सब चीजों को फायर ब्रिगेड अन्य संसाधन से आग लगने की घटनाएं रोका जा सकता है पर छत्तीसगढ़ शासन क्या कदम उठाएगी यह उनकी विवेक पर निर्भर करता है।