कर्नाटक चुनाव के बाद अब कांग्रेस की नजर छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव पर है, मनोवैज्ञानिक ढंग से कांग्रेस अब जोश में आ गई है कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद। विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहेगी। क्योंकि इसका सीधा असर होने वाला 2024 लोकसभा चुनाव में होगा विधानसभा का परिणाम अच्छा आएगा तो आने वाला समय में लोकसभा में भी जनता उसके और बहुमत स्पष्ट दिखाई देगा जो विपक्ष को क्लीन स्वीप भी कर सकती है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में खरीफ फसल के लिए तैयारी शुरू हो गई है बैंकों से कर्जा मिलना शुरू हो गया है। किसानों के बीच भी यही चर्चा चली रहती है आने वाला समय में चुनाव है और सरकार कर्जा भी माफ कर सकती है और किसान लोग कर्जा पहले की तरह लेने में काफी उत्सुकता है। ताकि चुनावी अवसर का लाभ भी मिल सके। केंद्र में भाजपा का सरकार है और भाजपा का माहौल किसान विरोधी दिखाई देता है और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कहते हैं उन्होंने हम को बोनस देने में रुकावट किया और न्याय योजना के माध्यम से अंतर की राशि अलग से देना पड़ रहा है। कांग्रेस किसानों के लिए प्रतिबद्ध है। और किसानों का समर्थन के लिए ही आने वाला समय में चुनावी घोषणा पत्र होगा। ऐसा मनोवैज्ञानिक ढंग से देखे तो ऐसा ही आभास हो रहा है। अब आने वाला समय में कौन सा पार्टी क्या करती है और किसके घोषणापत्र पर जनता भरोसा करती है यह चुनाव के परिणाम के बाद ही पता चलेगा। लेकिन कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी पार्टी का मनोबल टूट गया है काफी नुकसान होने के बाद उनका जनता का भरोसा जीतने के लिए काम करने के लिए अब उनके पास भी समय नहीं है क्योंकि खलनायक किसानों का वही है क्योंकि केंद्र में उनका सरकार है और किसान का महंगाई और डीजल में किसी भी प्रकार का सब्सिडी एवं कृषि वस्तुओं में केंद्र सरकार कोई बेहतर योजना अभी तक नहीं बना पाई है किसानों का टैक्स जीएसटी कृषि वस्तुओं में लगातार वृद्धि हो रही है जिसका काफी नुकसान केवल भाजपा को ही हो सकता है और इसका फायदा अन्य राजनीतिक पार्टी जरूर उठाएंगे। एवं मनरेगा योजना को एग्रीकल्चर से जोड़ने की बात हो रही है जो आने वाला समय में कांग्रेस एवं अन्य पार्टियां कर सकती हैं। ग्रामीण स्तर पर अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए बेहतर पॉलिसी हो सकता है। आने वाला समय में मुफ्त बिजली घरेलू उपभोक्ता के लिए एवं बेरोजगारों का भक्ता बेरोजगारी भत्ता भी मिल सकता है। एवं पक्के सरकारी रोजगार के भी अवसर निकल सकते हैं। मुफ्त में मिलने वाले योजनाओं को बीजेपी फ्री की रेवड़ी कहती थी अब बीजेपी भी फ्री कि यह रेवड़ी देने के लिए चुनावी योजना बना सकती है। क्योंकि बीजेपी व राजनीतिक पार्टी है जो बिना सत्ता के रह नहीं सकती बाहर हो जाएगी तो मछली की तरह तड़प तड़प बढ़ जाएगी। आने वाले समय में उनके नेता अवसर को ढूंढते हुए अन्य पार्टियों में भी जा सकते हैं जो संगठन के लिए चलाने के लिए पार्टी कुछ बड़ा कदम उठा सकती है।