कर्नाटक में कांग्रेस चलाएगी ब्यूरोक्रेसी जीत में आम आदमी पार्टी की पॉलिसी?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव कांग्रेस का भारी जीत का मुख्य कारण मुस्लिम क्रिश्चियन वोटों का कांग्रेस तरफ एकतरफा होना एकजुटता होना। जनता दल सेकुलर जो वोट काटती थी वह नहीं काट पाई। और कांग्रेसका एजेंडे को देखें चुनावी एजेंडा बिल्कुल आम आदमी पार्टी की तरह था जिसमें 200 यूनिट मुफ्त बिजली। बेरोजगारों को भत्ता। महिलाओं को आर्थिक सहायता एवं बस किराया में छूट। राशन कार्ड में 10 किलो मुफ्त अनाज, कर्नाटक में महंगाई एवं प्रत्येक चौथा मतदाता राशन कार्ड पर निर्भर है, बजरंग दल में बैन संबंधी घोषणा के बाद बीजेपी को और नुकसान होने वाला था जो कम हुआ एवं प्रधानमंत्री की रैली के कारण बीजेपी को कम नुकसान हुआ पहले से ही एंटी इनकंबेंसी बीजेपी को नुकसान होने की आशंका थी,कई राजनीतिक विचारक यह भी मानते हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए दिल्ली में जब मुलाकात करने के लिए गए थे तो कर्नाटक चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल को मनाने का काम किया जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती थी इसलिए वह चुनावी कैंपेयेन में नहीं जाने के लिए अपील किया गया। राष्ट्रीय पार्टी दर्जा मिलने के कारण फिर भी आम आदमी पार्टी वहां चुनाव लड़ी पर दमखम से नहीं लड़ी। दमखम से चुनाव लड़ती तो कांग्रेसी कई सीटों में कम मार्जिन से जो चुनाव जीती है वह प्रभावित हो सकती थी। दक्षिण भारत का राज्य है और वहां हिंदी आसानी से समझ में जनता नहीं समझती। और केजरीवाल का पूरा भाषण हिंदी में रहता है। लेकिन अब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान में हिंदीभाषी प्रदेश में केवल भाजपा और कांग्रेस में राजनीतिक लड़ाई के बीच अब आम आदमी पार्टी की चुनावी एंट्री हो सकती है

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