विवाह मुहूर्त खत्म होते ही छत्तीसगढ़ में गिरफ्तारी मुहूर्त!

कर्नाटक चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ राजस्थान में विधानसभा चुनाव होना है! यहां कांग्रेस की सरकार है और विपक्ष में केंद्र में भाजपा है। विपक्ष कहती है इनकम टैक्स सीबीआई और ईडी संवैधानिक संस्था केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है, विपक्ष में जब भाजपा थी तो वह भी कहती थी। कांग्रेस नेता बयान दे रहे हैं, चुनाव को देखते हुए चुनावी माहौल को खराब करने के लिए ऐसा काम कर रही है। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय किसके इशारे पर काम कर रही है वह छत्तीसगढ़ जनता को तय करना है। 4 महीना बाद आचार संहिता लग जाएगी। प्रवर्तन निदेशालय कितने मामले में चार्जशीट फाइल करती है कितने सबूत जुटाती है और ऐसी संभावना है कि चुनाव से पहले और गिरफ्तारी भी कर सकती है। ऐसा महसूस हो रहा है छत्तीसगढ़ का चुनाव कोयला और दारू पर होगा। लेकिन इन सब मुद्दे जनता को प्रभावित नहीं करते क्योंकि इनसे पहले भी बंगाल में सीबीआई और ईडी का करवाई हो चुका है और कई नेता जेल गए लेकिन फिर भी वहां पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार रिपीट कर गई और कई अन्य राज्यों में भी ऐसा हो चुका है। जनता गुड गवर्नेंस और किसान अपने लिए कार्य पर अच्छे कार्य पर वोटिंग करते हैं और कांग्रेस के लिए अच्छा माहौल है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का पल्ला भारी है। किसानों का धान 20 कुंटल खरीदी होगा। धान का भाव 2840 रुपए, प्रति कुंटल। एवं बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। एवं नौकरी का भर्ती भी सरकारी भर्ती निकाल रही है। भूमिहीन के लिए आर्थिक सहायता एवं कई अच्छे-अच्छे योजनाएं चल रही है। ई डी दो हजार करोड़ का घोटाला बता रही है तो पैसा आखिर कहां है। कितना पैसा कहां जमा हुआ पैसा कहां गया। इतना पैसा कोई अपने घर में नहीं रखता जाहिर सी बात है बैंक के माध्यम से ट्रांजैक्शन हुआ होगा। सेबी केंद्र सरकार का इनकम टैक्स केंद्र सरकार का पूरा सिस्टम केंद्र सरकार के पास है फिर भी इतने सालों में सबूत क्यों जुटा नहीं पाए। कोर्ट में आरोप लगाना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन कितने मामलों में साबित कर पाए कितने मामले चार्जशीट फाइल किये है और कितने मामले दर्ज किए।

भ्रष्टाचार लोकतंत्र का हिस्सा बन चुका है, भारत के संविधान और कानून में ऐसे कई कमियां हैं जिसको आज तक कोई भी सरकार एवं शासन के आने के बाद पारदर्शिता लाने का काम नहीं हुआ है, चाहे आप पंचायत से पार्लियामेंट तक देख लो, अंग्रेजों से आजादी के बाद देश में जो नौकरशाह है या की नौकरी पेसा लोग हैं उन्हीं का राज है पूरा सिस्टम उन्हीं के हाथों में रहता है। भ्रष्टाचार वित्तीय मामलों के लिए गड़बड़ी के मामलों के लिए पूरे देश भर में प्रत्येक जिलों में अलग से निष्पक्ष संस्था होना चाहिए अलग से इन्हीं मामलों को देखने वाला कोट होना चाहिए यह नहीं है।

इसीलिए सोशल मीडिया में एक डायलॉग आता है आए थे तवायफ़ के कोठों से मुजरा बंद कराने पर सिक्के की खनक से खुद नाचने लग गए। इसीलिए हम भी कहते हैं चार पैर वाले जानवर पर भरोसा करना पर दो पैर वाले स्वार्थी मनुष्य पर कभी भरोसा मत करना कब बिक जाए।

शासन और सरकार कर्जा में और सरकार चलाने वाले और सरकार चलाने वाले अमीर होते जा रहे हैं यही जनता को समझना है। ऐसा हो क्यों हो रहा है और कारण क्या है?

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