कलेक्टर एसपी नेता बर बोतल में पानी?

छत्तीसगढ़ के 36 ,,,,,,,नदियां 36 गति ,होवत हे,,,,,,,,,,नरवा,बावली डबरी कूआं सब सुख गे,,,,,,,,,तुतरू(नल)के जमाना आगे,,,,,,,बइला भइसा,ला छोड़,,,,,चिरइ,है पानी ला तरसत हे,,,,किसान खेत बंजर,,,,,,,फैक्ट्री बर योजना बनत हे,,,,,,,जियत ले मिनरल वाटर,,,,,,अपन मर बर बंद बोतल के पानी,,,,,जनता बर बड़े टंकी,,,,,अरे,,,,बासी,,,पानी,,के,,,,,,,, योजना ल,,बनावत हे,,किसान के करम फुट,,,,गे,,,कोयला निकाले बर अलग नियम,,,,,बांध (डेम)बनाय बर,,,,कलेक्टर के एनओसी के बहाना काम ला रोकथे,,,,,,छत्तीसगढ़ के अढ़हा किसान,,बार बार धोखा खावत हे,,,,युवा किसान गोल्डन कुमार के कलम से,,,,,

देश में कई हेक्टेयर भूमि, पटवारी रिकॉर्ड में असिंचित है,

हर खेत में पानी नहीं पहुंच रहा है और योजना हर घर, हर घर पानी पहुंचाने का बन रहा है।

जितना ऊंचा गांव का नल जल योजना का पानी टंकी बना है उसे दोगुना नीचे चला गया है।

डेम बनाने के लिए कलेक्टर ऑफिस में फाइल आगे नहीं बढ़ता ढुल खाता रहता है।

कोयला निकालने के लिए अलग नियम,

बांध बनाने के लिए अलग नियम।।

फिर भी इस योजना में भी किसानों हितैसी योजना में भी घोटाला और कमीशन खोरी मुनकिन है।

मूर्ति बनाने के लिए करोड़ों स्वीकृत हो जाते हैं।

यहां,

मंदिर मस्जिद चर्च बनाने के लिए वोट मिल जाता है।

मतलब बिना ऊर्जा बिजली सौर ऊर्जा के पानी मिलना मुश्किल है,,

यानी भारत आत्मनिर्भर नहीं बिजली कंपनी पर निर्भर,,,,

सरकार दलहन तिलहन के लिए योजना बनाती है बीज सब मिलकर बांट खा जाते हैं।।

इसीलिए कहते हैं डिजिटल इंडिया है,,

सब्सिडी खाता में आएगा,,

लेकिन आने से पहले आज भी देना पड़ता है इसलिए कहते हैं जब तक फलाना है सब चीज मुमकिन है।।

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