उठो लाला अब आंखें खोलो, सरकारी स्कूल और अस्पताल को एक बार अपनी अंतरात्मा से देखो?

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो या प्राथमिक स्कूल, सार्वजनिक क्षेत्र को का यानी सरकारी, सरकारी सिस्टम इसे जानबूझकर कमजोर कर रही है यही पॉलिसी में समझ में आता है। आपको सार्वजनिक क्षेत्र सरकारी अस्पताल में इलाज को छोड़कर के निजी क्षेत्र में इलाज करवाना सरकार भी यही कर रही है जैसे स्वास्थ्य बीमा योजना एवं स्वास्थ्य योजना के माध्यम से आपको निजी अस्पताल में इलाज होगा और पैसा सरकार भरेगी। इसमें मनोवैज्ञानिक ढंग से यही हो रहा है आपको निजी क्षेत्र का लाभ उठाने का आदत बना रहे हैं। आज सरकार दे रही है अगर कल बंद कर देगी तो आपको पूरा पैसा देना होगा। जैसे अन्य क्षेत्र में सरकार धीरे-धीरे सब्सिडी खत्म कर रही है वैसे स्वास्थ्य में कर देगी तब क्या होगा। इतिहास में कहा गया है स्वास्थ्य ही धन है। एवं शिक्षा ही सर्वोत्तम पुंजी है। जैसे स्वास्थ्य में हो रहा है निजी अस्पताल में इलाज करेंगे सरकार की पॉलिसी है। वैसे ही कई सरकारी निजी स्कूल में पढ़ाई करने के लिए सब्सिडी एवं सहायता देती है। आज दे रहे हैं कल बंद कर देंगे तब क्या होगा यानी आत्म निर्भर बनो सरकार के भरोसा में ना रहो यही सरकार आम जनता में मैसेज है एक प्रकार के मनोवैज्ञानिक ढंग से। जो आप सरकारी पैसे से आम जनता के पैसे से निजी क्षेत्र को लाभ दे रहे हैं लेकिन वह योजना सरकारी अस्पताल को वही पैसा विकास करने में नहीं लगाना यह सरकारी साजिश है। सरकारी अस्पताल का इतना हालत खराब है कोई अच्छा पैसे वाला है या पूर्व मंत्री विधायक या रसूखदार आदमी या सर्विस करने वाला आदमी जो महीने का कम से कम 30000 हजार भी सैलरी कमाता है वह कभी उसको सरकारी अस्पताल में जाते हुए बहुत कम लोग देखते हैं। सरकारी अस्पताल और स्कूल एक प्रकार का कमजोर एवं गरीब आदमी के लिए है। अगर समय पर सरकारी अस्पताल को सुधार नहीं किया गया तो यह आने वाला समय के लिए खतरनाक है आपके बजट पर भी प्रभावित करेगी। बड़े-बड़े मंत्री और विधायक देखे होंगे मामुली चोट एवं कुछ भी छोटे प्रॉब्लम के लिए सरकारी अस्पताल बिल्कुल नहीं जाते। जाएंगे तो बड़े निजी अस्पताल में मतलब उनको भी मालूम है सरकारी अस्पताल का दुर्दशा खराब है। ऐसा नहीं है कि सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं होता है इलाज होता है। इसमें सरकारी नीति और दुर्दशा की कमी रहती है वही डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक में इलाज करते हैं और वही निजी के बाद सरकारी में भी सर्विस देते हैं। सरकारी सेवा के कार्य और निजी सेवा के कार्य में भारी अंतर जानबूझकर डॉक्टर भी करते हैं। बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया यही मनोवैज्ञानिकता बन चुकी है। भारत में मेडिकल का पढ़ाई में बहुत खर्च लगती है जाहिर सी बात है वसूली भी आपसे ही करेंगे। कुछ दिन पहले मेडिकल के लिए पढ़ाई यूक्रेन गए थे सस्ता मेडिकल की पढ़ाई होती है पर युद्ध के कारण फिर भारत आ गए। सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल की दशा तभी सुधर सकती है जब उनके कार्य कर रहे हैं मास्टर एसपी कलेक्टर विधायक मंत्री के बेटे को भी सरकारी अस्पताल और स्कूल में अनिवार्य सर्विस सेवा) लेने का करने का कानून बन जाए इसके बिना या सुधार हो ही नहीं सकता। golden Kumar ✍???? नहीं तो यही होगा जिसके पास रहेगा कैस वही चलाएगा देश, मतलब जिसके पास पैसा नहीं रहेगा तो शिक्षा और स्वास्थ्य से वंचित रहेगा। और उसका सारा कमाया हुआ पूंजी स्वास्थ्य में और शिक्षा में खर्चा हो जाएगा तो खाएगा क्या?

  • आज से 20 साल पहले सरकारी स्कूलों की स्थिति ठीक थी क्योंकि मास्टर के पास स्मार्टफोन नहीं होता था आज सभी के पास स्मार्टफोन रहता है टाइम पास करते हैं।
  • जैसे सरकारी अस्पताल में मरीज के साथ दुर्व्यवहार होता है, क्योंकि यह सरकारी है और सरकार सब जानती है और तुमको ज्यादा ही कुछ करना है तो जाओ प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराओ।
  • बड़े-बड़े हॉस्पिटल के पॉलिसी बनाने वाले नेताओं और राजनीतिक पार्टियों को बड़े-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल इतना पैसा देते हैं, शिकायत कहां करोगे सब मालूम है कुछ नहीं होता है क्योंकि सब पैसे का खेल है।
  • इसीलिए कहते हैं guruग्लोबल न्यूज़ आपको कहता है,जागरूक बनो समझदार बनो।

guruglobal

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *