द इंडियन पॉलिटिक्स राइटर गोल्डन कुमार_____कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, संसद सदस्यता रद्द होते ही, कांग्रेस हाथ में ब्रह्मास्त्र मिल गया है। जिसकी जनसंख्या में जितनी भागीदारी उसको आरक्षण ही नहीं सभी चीजों में उतनी भागीदारी। बीजेपी के नेता भरी सभा में जय श्रीराम बोलते थे तो उनके साथ एसटी एससी ओबीसी दलित लोग हिंदू के नाम पर मनमोहित हो जाते थे और जय श्रीराम के नारे लगाते थे, हिंदू के नाम पर बीजेपी को वोट भी देते थे,?अब इसका तोड़ मिल गया?लेकिन यह देश का दुर्भाग्य भी है कांग्रेस को यह समझने में 32साल लग गया, बिहार में जातीय आधार पर जनगणना हो चुकी है पूरे जातियों का गिनती किया जा चुका है। यह अब देश में लागू होगा। अगर कर्नाटक की जनता समझ गई तो बीजेपी का वहां जमानत जप्त भी हो सकता है? वहां एक भी सीट निकालना मुश्किल हो सकता है। अगर कर्नाटक में सफल हो गया तो यह पूरे देश में जरूर सफल होगी। बीजेपी का मुख्य वोट बैंक केवल हिंदू है। और इस राजनीति का तोड़ कांग्रेस को आज मिल रहा है। जब हम पैदा हुए थे 1989 में उस समय राम के नाम पर रथ यात्रा लालकृष्ण आडवाणी ने निकाला था और मोदी जो वर्तमान में प्रधानमंत्री है वह रथ के आगे थे। आडवाणी ने कहा था कोई मां का दूध पिया है तो इस रथ को रोक कर बताएं, फिर उस रथ को रोककर आडवाणी को गिरफ्तार करके यानी रथ को पंचर करके,लालू यादव बोले थे “””यादव है मां का भी दूध पीये है और काली भैंस का भी”””उस उस रथ को केवल बिहार ने रोका था और आज भी बीजेपी का आज_तक सरकार नहीं बना है। बीजेपी का वहां कभी सरकार अपने बल पर बन ही नहीं सकती अगर जातीय समीकरण को देखें लेकिन कांग्रेस को समझने में बहुत देर लग गया। बीजेपी ने ईडब्ल्यूएस यानी गरीब सवर्ण के लिए 10% आरक्षण लाया। सभी राजनीतिक पार्टियों में ब्राम्हण हावी है। सर्वसम्मति से पास हो गया कोई इसका विरोध नहीं किए। संविधान आरक्षण में गरीब शब्द है ही नहीं। पर लागू हो गया। अगर वास्तविकता देखें तो बीजेपी में जितने भी ओबीसी नेता है वह अपने ओबीसी समाज के बीच वोट मांग ही नहीं सकते उनके बीच किस मुंह से जाएंगे। जातियों के हिसाब ही देखें तो बीजेपी में केवल ब्राम्हण राजपूत ठाकुर,और बनिया ही बच जाएंगे और इतने में सांसद के कुछ ही सीटों में बस जीत मिल सकती है। और देश के कई राज्यों में विपक्ष में बैठने लायक भी हैसियत नहीं होगी। ऐसा नहीं है जिसकी जितनी जनसंख्या में हिस्सेदारी उतना भागीदारी इस पॉलिसी का तोड़ गोल्डन कुमार के पास नहीं है इसका भी तोड़ है हमारे पास है लेकिन देश की भलाई वर्तमान परिस्थिति फिलहाल बीजेपी को सत्ता से बाहर करने में ही है। फिलहाल जनगणना हुआ नहीं है केंद्र जनगणना आयोग केंद्र सरकार गृह मंत्रालय करती है और 2024 आम चुनाव तक हो ही नहीं सकता। 2021 में होना था, बीजेपी सरकार ने इसे जानबूझकर रोक दिया क्योंकि पर्फेक्ट आंकड़े आ जाएंगे। उनको डर है कहीं 2024 से केंद्र से भाजपा का सफाया ना हो जाए। अरे जनगणना इस देश में भारत चाइना युद्ध 1971 युद्ध पाकिस्तान युद्ध एवं करगिल युद्ध में भी नहीं रोका उसे भाजपा ने कोरोना का बहाना बना करके रोक दिया।
- उदाहरण के लिए देश की नहीं वर्तमान अपना जिला के ही बात करते हैं जिला गरियाबंद में तो आदिवासी ज्यादा है बीजेपी ने आदिवासी को वहां जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बनाया ना पिछड़ा वर्ग को, और विधानसभा टिकट भी ब्राम्हण को देने का मन बना लिया है। तो ब्राम्हण की जनसंख्या कुछ ही परसेंट है। अब जातीय के हिसाब से देखें तो ब्राम्हण कैंडिडेट को कितना परसेंट वोट मिलता है यह तो जनता ही तय करेगी।
- लोग कहते हैं ब्रह्मा जब बुद्धि बांट रहा था, ब्राह्मण आगे थे हम कहते हैं बिल्कुल गलत बीजेपी का जब राज हुआ तो ब्राह्मण सबसे आगे थे।
- लोग कहते हैं अकल़ बड़ा बड़ा या भैंस, अरे हम यादव हैं अकल को तो आज तक देखे नहीं है भैंस आंखों से बड़ा दिखाई देता है और हमारे हिसाब से भैंस ही बड़ा है। और आपके हिसाब से क्या है?