जौनपुर में अकबर बादशाह द्वारा वर्ष 1568-69 में गोमती नदी पर बनाया गया शाही पुल455 वर्षों से ये ब्रिज लोगों को सेवा प्रदान कर रहा है और अभी भी अच्छी स्थिति में है, स्वस्थ है… इसे अफगान आर्किटेक्ट अफजल अली ने डिजाइन किया था।।
उसके बाद अंग्रेजो के द्वारा बनाया गया पुल भी आज भी चल रहा है। मुगल काल में उतना तकनीक विकसित नहीं हुआ था पानी और गहरे जगह में इस तरह का इंजीनियरिंग काबिलियत तारीफ है। इसका सबसे बड़ा कारण है उस समय कितना भ्रष्टाचार कमीशन खोरी नहीं होता था।
लेकिन आज जितना भी काम है बड़ा बड़ा काम है सरकारी काम है ठेकेदारी से होगा और ठेकेदारी में कमीशन खोरी बिल्कुल हो सकता है। अगर कहीं गड़बड़ी आ जाती है तो निर्माण करने वाले छोटे-छोटे कर्मचारियों पर एवं मजदूरों पर एवं मिस्त्री पर ही कार्यवाही करते हैं और बड़े-भ्रष्टाचार के मगरमच्छ है बिल्कुल आसानी से बच जाते हैं।
भारत में भ्रष्टाचार के मुख्य कारण यहां भ्रष्टाचार संबंधी कारण मजबूत नहीं है, भ्रष्टाचार कमीशन खोरी सरकारी काम में गड़बड़ी वित्तीय गड़बड़ी को जांच करने वाला अलग से संस्था नहीं बनाई गई है ना अलग से इसका इंक्वायरी करने वाला कोई संस्था नहीं है। अगर पंचायत से लेकर के पार्लियामेंट में भी देखें वित्तीय गड़बड़ी का कोई इतना लंबा चलता है। सही समय में न्याय होना मुश्किल रहता है ना अलग से इसका कोई फास्टट्रैक भारत में कोई कोर्ट नहीं है। सार्वजनिक यानी जनता का पैसा को भ्रष्टाचार करना भारत के कानून में कोई संवेदनशील क्राइम किस श्रेणी में नहीं रखा गया है। देश में कई ऐसे वित्तीय गड़बड़ी संबंधी मामले आज भी लंबित हैं और विचाराधीन है और जांच भी पूरा नहीं हुआ है। पूर्व शासन एवं वर्तमान केंद्र शासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं जैसे स्वर्गीय राजीव गांधी के समय बेफोर्स अभी नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में राफेल खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। देश के संविधानिक संस्थाएं सीबीआई ईडी सेबी, इनकम टैक्स, पर भी अब भरोसा करना अब मुश्किल हो गया है। अब केंद्र में जिसका सरकार उनका हिसाब से चलने वाली यह संस्थाएं बन चुकी है। यह संवैधानिक संस्थाएं निष्पक्षता बिल्कुल नहीं दिखाई देती। यानी जिसका केंद्र में सरकार उनका इनकम टैक्स सीबीआई और ईडी। यह अब स्पष्ट हो गया है अगर सरकार परिवर्तन भी होती है तो उनके हिसाब से ही काम करेगी। यह संस्थाएं का राजनीतिक इस्तेमाल बिल्कुल 110 परसेंट संभव है। अगर इसको राजनीतिक इस्तेमाल से रोकना है तो उसका मात्र एक ही उपाय है इन संस्थाओं को स्वतंत्र या देश के राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट के जज के हिसाब से काम करने के लिए सर्वसम्मति से संसद में बिल पास करना होगा। और भ्रष्टाचार संबंधी कानून को मजबूत करना होगा।

अगर भ्रष्टाचार का पैसा ed जप्त कर लेगी तो उसे काला धन को भी सफेद कर देगी। आपके पैसा किस रास्ते आया है उसे सही साबित कर देगी।

सत्यमेंव जयते बस अब लिखने के लिए काम आता है लेकिन सत्य को जीतने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। अवैध रूप से दारू पकड़ने वाला खांकी वाला हो या, सफेद कुर्ता वाला सीबीआई वाला, दारू किस रास्ते ब्लैक में आया इसका इंक्वायरी नहीं करता और सीबीआई और इनकम टैक्स अवैध रूप से इसका पैसा किस रास्ते आया इसका जांच नहीं करता यही सबसे बड़ा कारण है। फिर कोर्ट में मामला भेजा करके अब कोर्ट वाला जाने, मामला कोर्ट नहीं गया तो वही रफा-दफा।
