जो 2010 के पंचायत चुनाव में भौकाल खड़ा करके चुनाव जीत गई। फिर उनको ऐसा लगा अब तो विधायक भी बन सकती हैं। फिर 2013 में बीजेपी से टिकट ना मिलने से भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा राजिम का चुनाव लड़ा लेकिन वोट कटवा साबित हुई उनको जिला पंचायत इतना भी वोट नहीं मिला था। मतलब यह केवल सोशल मीडिया वाला नेता है वास्तविक जनता में छवि नहीं है। ऐसे नेता केवल पोस्टर में ही अच्छे लगते हैं। इसलिए कहते हैं अंधों और गूंगा के बीच का कांना ही राजा होता है। इनको सोशल मीडिया में गोल्डन कुमार कमेंट बॉक्स में कमेंट करते थे आपके जिला पंचायत कार्यकाल में शौचालय में भ्रष्टाचार हुआ है या नहीं? आपके जिला पंचायत कार्यकाल में अध्यक्ष के कार्यकाल में प्रधानमंत्री आवास सूची में हेर फेर हुआ है या नहीं,? जो जरूरतमंद थे उनको आवास क्यों नहीं मिला? 2015 से 2020 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रही है। इतने दिन तक कितना कार्य किए उसका डाटा क्यों पेश नहीं करती,? शौचालय में भ्रष्टाचार पर आप का स्टेटमेंट क्यों नहीं आता है? प्रधानमंत्री सूची में आवास सूची में हेरफेर पर आपका स्टेटमेंट क्यों नहीं आता है। इन सब भ्रष्टाचार में आपका कितना शेयर है? इसलिए नहीं आता है। इनके समर्थक अंधे और गूंगे को यह सब चीजें समझ ना आ जाए इसलिए यह गोल्डन कुमार के फेसबुक टि्वटर अकाउंट को ब्लैक लिस्ट कर देती है। तो विधानसभा का आवाज बन जाएंगी जो किसी के आवाज को दबा रही हैं। विधानसभा की जनता इनको ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया और चेहरा को देखकर वोट करते हैं। आपके कार्य का फीडबैक क्या है ?आपका विजन क्या है? अगर जनप्रतिनिधि हो सोशल मीडिया में कहो तो जनता की बातों को सुनो अगर आप किसी की अकाउंट को ब्लैक लिस्ट कर देंगे तो यह आपका पहला जनप्रतिनिधि लायक होने का अधिकार खो रही हैं और आपको लोकतंत्र में यह बिल्कुल सही नहीं है। अपने आप को महिला होने का दावा करती है और महिलाओं के अपराध पर बिल्कुल चुप हो जाती हैं। जिला गरियाबंद में शौच गई महिला के साथ जबरदस्ती नहीं हुआ है। शौच गई महिला की लाश मिली गरियाबंद में भी है खबर आ चुका है? शौच गई महिला को हाथी ने कुचल दिया। ना जाने कई खुले में शौच गई महिलाओं को देखकर सीटी बजाने वाले अपराध छेड़खानी कई तो ऐसे हैं जिसका मामला भी दर्ज नहीं हुआ है राजीनामा हो गया है। बस इनको विश्व महिला दिवस पर पोस्टर लगाने आता है। सच्चाई बोल नहीं सकती और सच्चाई सुन नहीं सकती और विधानसभा का सपना देख रही हैं। अंग्रेजी में विधायक को एमएलए कहते हैं मतलब मेंबर ऑफ द एसेली । क्या इनके पास विधायक बनने की काबिलियत है। या चेहरा को देख करके बीजेपी टिकट देगी। सोशल मीडिया को देखकर बीजेपी टिकट देगी।

