आजादी के 75 साल के इतिहास में अभी तक नहीं हुआ है वह अब बिल्कुल संभव दिखाई दे रहा है। भारत के संविधान के न्यायपालिका को स्वतंत्र माना गया है लेकिन वह भी अब सरकार के हिसाब से काम करने लग जाएगी अगर हो गया तो, सरकार के खिलाफ अगर कोई मामला आ जाएगा तो न्याय मिलना असंभव ही नहीं नामुमकिन हो जाएगी। सरकार अगर गलत फैसला लेती है तो कोई भी नागरिक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाता है। वहां नियम और संविधान के हिसाब से फैसला होता है। देश का लोकतंत्र और संविधान ही अब खतरे में है उनको न्याय चाहिए अब कहां जाएं?? हाईकोर्ट के एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को आप राज्यपाल और राज्यसभा बीजेपी बना रही है और कई ऐसे फैसले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के दिखाई दे रहे हैं जो सरकार के समर्थन में काम किया। अब न्यायपालिका के ऊपर दबाव दिखाई दे रहा है जो केंद्र सरकार बनाना चाहती है।। कलेक्टर एसपी डीएम पहले से ही सरकार के हिसाब से काम करते थे अब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी क्या सरकार के हिसाब से काम करेगी?
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजु , उन्होंने कहा है हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कोई सरकार नहीं है जनता नहीं चुनती है। अब तक जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम से होती थी उसका केंद्रीय कानून मंत्री विरोध कर रहे हैं कह रहे हैं। अब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज को नियुक्ति भाजपा सरकार करना चाहती है।अंग्रेजों से आजादी के बाद देश में, कई सालों तक कांग्रेस का नहीं अधिकारी राज आया। जनता को लग गया कि अंग्रेजों से आजादी मिल गया। पर देश में अफसरशाही हावी हो गए। क्योंकि जनता का जनप्रतिनिधि 5 साल में बदलता है और अधिकारी कर्मचारी 30 साल तक सर्विस में रहते हैं। अब लोकतंत्र भी पैसा तंत्र बन जाएगा मतलब जिसके पास रहेगा कैस वही चलाएगा देश। golden Kumar,, उदाहरण के लिए जैसे जनता को पब्लिक को बहुमत को कुछ बहुमत को साइड करके दारू पिला मुर्गा खिलाकर,करके गांव का सरपंच बन जाता है और कहता है मैं जनप्रतिनिधि हूं। वही गांव में फिर न्याय करता है वैसी अब देश में हो जाएगी। जनता ने ही तो क्योंकि भाजपा को चुना है। हो सकता है जनता के लिए ही अच्छा फैसला ले रही होगी।