*छत्तीसगढ़ सरकार के 6 मार्च के बजट के बाद विद्युत संविदा कर्मी, दैनिक वेतन भोगी, एवं अन्य विभाग के संविदा कर्मी, रोजगार सहायक, मनरेगा जनपद के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारी पंचायत सचिव, कंप्यूटर ऑपरेटर ठेका कर्मी एवं इससे जुड़े हुए कार्य करने वाले, काफी संख्या में इनके उम्मीदों पर बजट के बाद से पानी फिर गया और इनमें नाराजगी दिखाई दे रही है**_जैसे सरकार ने मजदूरों के लिए मनरेगा में बनाया है जितना काम उतना दाम_**छत्तीसगढ़ शासन से विद्युत संविदा कर्मियों को ज्यादा उम्मीद थी बचत को देखकर आस लगा रहे थे, काम लाइनमैन इतना साथ-साथ काम करते हैं और वेतन में इनका काफी अंतर है और इन पर घायल होने पर या कार्य के दौरान मृत्यु होने पर इनको बीमा या निश्चित राशि का प्रावधान करने का इनका डिमांड है और, विद्युत कार्य के दौरान काफी जोखिम भरा कार्य रहता है इसमें कुछ दुर्घटना होने पर इलाज आदि का कुछ प्रावधान बनाना चाहिए एवं किसी दुर्घटना में मृत्यु होने पर उनके परिवार जनों को सहायता राशि का भी नियम बनाना चाहिए***सरकार के पॉलिसी में बहुत बड़ी भूल हुई है, वेतन में भारी विसंगति है और काम में भी भारी विसंगति है, ग्लोबल न्यूज के संपादक गोल्डन कुमार ने जमीनी स्तर पर इसका विश्लेषण की है तब पता, सबसे ज्यादा नाराजगी शिक्षा विभाग में काम कर रहे हैं शिक्षाकर्मी एवं शिक्षक के तुलना में अन्य कर्मचारियों संविदा कर्मी को वेतन में और काम में भारी विसंगति और अंतर है***इन लोगों का कार्य और इसका तुलना में काफी आक्रोश प्रभावित स्वयं इन कर्मचारियों को दिखाई देता है***जैसे शिक्षाकर्मी और शिक्षक 4:00 बजे छुट्टी 11:00 बजे स्कूल,, शनिवार को हाफ डे, इनकी काम के तुलना में वेतन शिक्षा कर्मी का बहुत ज्यादा है,***और अन्य सेवा के कार्य अन्य विभागों के सेवा के कार्य जैसे पुलिस बिजली अस्पताल इनके कर्मचारियों को रविवार से लेकर शनिवार को एवं ड्यूटी में काफी बहुत कार्य करना पड़ता है***कार्य के हिसाब से सबसे सुखी वाला नौकरी नवाबों की नौकरी शिक्षाकर्मी ही आता है***अधिकतर शिक्षाकर्मी को आप देखिए बिल्कुल बकायदा कार में घूमता है कार से स्कूल जाता है***अन्य कर्मचारियों को तुलना करें तो उठना विकास नहीं हुआ है***जितना एक शिक्षा कर्मी का वेतन और तनखा है उतना में 4 संविदा कर्मी को नौकरी दिया जा सकता है***अन्य संविदा कर्मी का अन्य विभाग के संविदा कर्मी का उनका ड्यूटी टाइम टेबल देख लीजिए शिक्षाकर्मी से ज्यादा रहता है***शासन और प्रशासन को इस विसंगति दूर करने का मात्रा दो उपाय है अब शिक्षाकर्मी भर्ती ना निकालकर इसको ठेकेदारी किया संविदा या दैनिक वेतन भोगी या ठेकेदारी पर कॉन्ट्रैक्ट पर काम करवाने का प्रक्रिया चालू करना चाहिए****उदाहरण के लिए केंद्र सरकार ने सेना के लिए 4 साल के लिए अग्निवीर के लिए किया***सरकार के सेवा के जितने भी कार्य हैं वह जनता के बोझ पड़ता है जनता के टैक्स के पैसे से ही इनको वेतन दिया जाता है***सरकार का बजट इन कर्मचारियों में ज्यादा खर्च हो जाता है***52 विभाग के संविदा दैनिक भोगी ठेकेदारी एवं अन्य कर्मचारियों की संख्या तुलना करें तो लगभग 5 लाख है। इनसे जुड़े हुए सहपाठी एवं परिवार के लोगों एवं अन्य लोगों को जोड़ कर देखेंगे तो इनकी संख्या कितनी हो सकती है और समय पर इनकी नाराजगी दूर नहीं हुई तो इनका मत किसके तरफ जाएगा यह अकल्पनीय है एवं एवं विपक्षी पार्टी अपने पाले में करना चाहेगी पर यह समय पर ही पता चलेगा किसके पाले में जाएंगे*
