छत्तीसगढ़ में सबुत मिलने परED कर सकती है कार्रवाई!

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के कई और नेता अभी होंगे ED के शिकार, कभी भी हो सकती बड़ी कार्यवाही छत्तीसगढ़ के कथित कोयला घोटाले में ईडी की छानबीन जारी है। कांग्रेस के कई नेता ईडी के रडार पर हैं जिस पर एक्शन संभव है। इन नेताओं पर ED का शिकंजा कस सकता है…रायपुर(श्री गुरु ग्लोबल न्यूज़):-छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सूबे में चुनावी माहौल के बीच कथित कोयला घोटाले की छानबीन को लेकर केंद्रीय एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान ईडी ने कोयले पर कथित अवैध लेवी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपने रायपुर दफ्तर में कांग्रेस के चार नेताओं रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन और देवेंद्र यादव, और आज विनोद तिवारी को पूछताछ के लिए तलब किया है। ईडी ने कांग्रेस के अधिवेशन से ठीक पहले इस केस की छानबीन के संबंध में सूबे के कांग्रेस के कुछ नेताओं और पदाधिकारियों के परिसरों पर छापेमारी की थी। सूत्रों की मानें तो सूबे के कई कांग्रेस नेता, मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार और विधि विभाग के अधिकारी एवं आई ए एस,आई पी एस ईडी के रडार पर अभी हैं। इस रिपोर्ट में जानें किन नेताओं पर है प्रवर्तन निदेशालय की नजर…कोयला घोटाले में बड़े सिंडिकेट की भूमिकाअपने नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी से आहत कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छापों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि BJP राजनीतिक विरोधियों की आवाज को कुचलने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। वहीं ईडी ने आरोप लगाया है कि कोयले पर प्रति टन 25 रुपये का अवैध शुल्क लगाने के पीछे नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों का एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा था।इन नेताओं पर ईडी की पैनी नज़र ईडी ने चार्जशीट में दावा किया है कि यह सिंडिकेट अवैध लेवी वसूली कर रहा था और हर दिन लगभग 2 से 3 करोड़ की कमाई कर रहा था। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कई नेता ईडी की जांच के दायरे में हैं। इन नेताओं से पूछताछ या इनके ठिकानों पर छापेमारी की प्रक्रिया चल है। फिलहाल कथित घोटाले में इन नेताओं की भूमिका को लेकर ईडी की ओर से कोई बयान नहीं आया है।1- गिरीश देवांगन रायपुर जिले के खरोरा कस्बे के निवासी गिरीश देवांगन (Girish Dewangan) सीएम भूपेश बघेल के करीबी बताए जाते हैं। सीएम बघेल और देवांगन ने साइंस कॉलेज रायपुर में साथ पढ़ाई की है। मौजूदा वक्त में उनके पास कैबिनेट मंत्री और छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (CMDC) के चेयरमैन का पद है। देवांगन 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव (संगठन) के पद पर थे।2- देवेंद्र यादव भिलाई से विधायक हैं। यादव भिलाई नगर निगम के सबसे कम उम्र के महापौर हैं। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष रहे प्रेम प्रकाश पांडे को हराया था। देवेंद्र यादव एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ के तेज तर्रार युवा नेता के तौर पर उनकी पहचान है। देवेंद्र को उनकी टीम के साथ भारत जोड़ो यात्रा के प्रबंधन को लेकर शीर्ष नेतृत्व की ओर से काफी सराहना मिली थी।3- आरपी सिंह छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं। वह टीवी डिबेट्स में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनको बेबाक प्रतिक्रियाओं के लिए जाना जाता है। उन्हें पार्टी के उन गिने-चुने लोगों में माना जाता है, जिनकी सीएम आवास तक सीधी पहुंच है।4- विनोद विनोद तिवारी युवा कांग्रेस नेता के रूप में पार्टी के भीतर जाना-पहचाना चेहरा हैं। वह अजीत जोगी की जनता कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस में शामिल हो गए।5- सन्नी अग्रवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखते हैं। वह छत्तीसगढ़ राज्य भवन एवं अन्य निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। कभी वह पीएल पुनिया के करीबी थे। उनको गिरीश देवांगन और रामगोपाल अग्रवाल (कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष) का भी करीबी माना जाता है।6- रामगोपाल अग्रवाल कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष हैं। वह नागरिक आपूर्ति निगम के चेयरमैन भी हैं। वह धमतरी से आते हैं। वह उसी सीट से विधायक बनना चाहते हैं। उनको सीएम भूपेश बघेल का विश्वासपात्र माना जाता है।7- चंद्रदेव प्रसाद राय बलौदा बाजार जिले के बिलाईगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। वह 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘शिक्षाकर्मी आंदोलन’ के नेता थे। इसी वजह से उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला था। ईडी ने उनके परिसरों पर छापा मारा था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनको पूछताछ के लिए तलब किया था।*सीएम बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी पर कसा है शिकंजा*उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में पिछले साल 11 अक्टूबर को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी समीर विश्नोई और व्यवसायी सुनील अग्रवाल समेत तीन लोगों को मनीलॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। ईडी के मुताबिक इस मामले का कथित मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी है। ईडी ने पिछले साल 2 दिसंबर को सीएम भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया था। ईडी ने आरोप लगाया कि सौम्या चौरसिया के व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि वह सूर्यकांत तिवारी को सरकार की गोपनीय जानकारियां साझा कर रही थी।

लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार पर हो रही थी कि छापेमारी को, ट्वीट करके कहा, हमने इंदिरा गांधी के समय आपातकाल का दौर देखा है। लेकिन इस तरह राजनीतिक आपसी कार्यवाही उस समय नहीं हुआ था लेकिन बीजेपी राजनीतिक आपसी लड़ाई कितना संविधानिक संस्थाओं का उपयोग करेगी यह कतई बर्दाश्त से बाहर है। लालू प्रसाद यादव भी केंद्र में कांग्रेस के सत्ता में भागीदारी रहे पर इन्होंने कभी ऐसे जांच एजेंसी को राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में करने का प्रस्ताव नहीं भेजा था भविष्य में इसका दुरुपयोग भी हो सकता है इसका भी कल्पना नहीं किया गया था। जब जागो तभी सवेरा लेकिन विपक्ष के नेता आने वाले भविष्य राजनीतिक भविष्य को देखते हुए कब जागेंगे समझ से परे है ‌?
यह कांग्रेस की नेता विनोद तिवारी हैं, प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजकर इन को पूछताछ के लिए बुलाया था। इनके समर्थक प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी कर रहे थे। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी संवैधानिक संस्था ईडी सीबीआई सेबी प्रवर्तन निदेशालय इनकम टैक्स इसका भी इस्तेमाल उस समय होता था। ऐसे भ्रष्टाचार के मामले में जांच करती थी पूछताछ और कार्रवाई करती थी कांग्रेस उसको संविधानिक कार्य बताती थी? उस समय जो विपक्ष के नेता रहते थे उनके समर्थक प्रदर्शन करते थे। कांग्रेस के ऊपर भी संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग का आरोप लगता था।
आईपैक इंडियन पॉलीटिकल एक्शन कमेटी एवं श्री गुरु ग्लोबल न्यूज़ यही मानते हैं राजनीति में खादी में शुद्धीकरण होना जरूरी है। 6 महीने में थानेदार 12 महीने में एसडीएम तहसीलदार 18 महीने में जिले का एसपी कलेक्टर, 24 महीने में संभाग का कमिश्नर, प्रशासनिक फेरबदल एवं जनता को लोकतंत्र जिंदा रखने के लिए 60 महीने में या 120 महीने में सेंट्रल एवं स्टेट की सरकार जरूर बदल देना चाहिए। संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा जब सत्ता में कांग्रेस थी तो विपक्ष चिल्लाते थे। आज कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल आम आदमी पार्टी सहित राजनीतिक उपयोग का आरोप लगा रही है। कल अगर बीजेपी विपक्ष में बैठ जाएगी तो बीजेपी भी चिल्लाएगी दुरुपयोग का आरोप लगाएगी। यह सभी संवैधानिक संस्थाएं केंद्रीय,गृह मंत्रालय के नेतृत्व में काम करती है। आरोप लगना स्वाभाविक है। इन विपक्षी पार्टी एवं राजनीतिक दलों को जनता को गुमराह करने के अलावा यही जरिया बनता है। विपक्षी दल मिलकर के संवैधानिक संस्थाओं को उपयोग के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निंदा प्रस्ताव भेज सकते हैं। लेकिन इन विपक्षी पार्टी पार्लियामेंट में इनके सांसद है कई राज्यों में इनका सरकार है लेकिन यह प्रस्ताव आज तक नहीं भेजे हैं इन संवैधानिक संस्थाओं को राष्ट्रपति या माननीय सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में करना चाहिए या राज्यपाल के नियंत्रण में यह प्रस्ताव नहीं भेजे हैं। मतलब आने वाला सत्ता परिवर्तन में इसका भी स्वयं दुरुपयोग करेंगे ऐसा शंका पैदा होता है। किसी भी राजनीतिक पार्टी संवैधानिक संस्थाओं को माननीय राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में रखने का प्रस्ताव किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं भेजा है। कौन ईमानदार है और कौन बेईमान है राजनीतिक दल से समझ में नहीं आता है?

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