मुड़ागांव पांडुका रोड निर्माण मड़ेली में, मिली जुली घोटाला?#adb प्रोजेक्ट,#पीडब्ल्यूडी#लोक निर्माण विभाग,

अंग्रेज और मुगल सरकार में क्या होता था guru ग्लोबल न्यूज़ को मालूम नहीं है, लेकिन आजाद भारत में घोटाला होना स्वभाविक सी बात है। लोक निर्माण विभाग के द्वारा मुड़ा गांव ग्राम में पब्लिक बोर्ड लगाया गया है उसका स्टेमेट वही लोग ही समझेंगे आम आदमी को समझना नामुमकिन है। 1 किलोमीटर रोड निर्माण में लगभग ढाई करोड़ से ज्यादा, मड़ेली में 500 मीटर कार्य नहीं करेंगे तो कितना करोड़,? बचेगा, इतना नियम तो हम को भी मालूम है सप्लीमेंट्री बजट भी होता है नहीं बन सकता ?रोड किसी नागरिक का वाहन दुर्घटना से राम नाम सत्य होगा इसकी जवाबदारी कौन लेंगे ? उतना दूरी का रोड पहले जैसा ही रहेगा।पब्लिक बोर्ड में कितना फिट गिट्टी डालना है, कितना रुपए का मुरूम डालना है यह रुपए में दर्शाया नहीं गया है, की मुरूम स्थानीय कृषि भूमि एवं पट्टे से दिया गया, से एवं पंचायत के तालाबों से निकाला जा रहा है। ग्राम खड़मा मड़ेली दोनों गांव के तालाबों से निकाला गया। मुरूम निकालने के लिए स्थानीय खनिज विभाग ने अनुमति तालाबों से दिया है या नहीं यह प्रशासन ही जान सकते हैं। अगर अनुमति दिया है तो रोजगार गारंटी अधिनियम है तो स्थानीय मजदूर मिट्टी खोदने के लिए मिट्टी बचेगा नहीं तो क्या बेरोजगारी भत्ता देंगे। जगह के अभाव में तो कई गांव में रोजगार गारंटी योजना चल नहीं रहा है आने वाला समय में क्या करेंगे। पब्लिक बोर्ड में 37.7 किलोमीटर दर्शाया गया है। मड़ेली बस स्टैंड, स्वर्ण जयंती चौक नावा तरिया तक, एडीबी प्रोजेक्ट वाले उसको अपने प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया है, वहां स्थानीय कृषि भूमि को अधिकृत नहीं किया गया है। रोड के किनारे दुकान एवं घर को किसी को मुआवजा नहीं दिया गया है, उतना दूरी का कार्य छोड़ दिया है। लगभग 500 मीटर की दूरी राजिम छुरा मार्ग पड़ता है। क्या इसलिए छोड़ दीयें है। वह रोड बनने के लिए कब ना कब स्वीकृति होगा। कितना दूरी में काफी संकीर्ण ट्रैफिक रहेगा। दुकान एवं आबादी वाला क्षेत्र है। फिलहाल वहां पर नाली भी नहीं बनेगा। उतना दूरी तक कुछ कार्य नहीं। घनी आबादी क्षेत्र में मड़ेली में 500 मीटर तक की दूरी का रास्ता दुर्घटना योग्य काफी सकरा रहेगा। जबकी आबादी वाले क्षेत्र में नाली बनाना है। वाला नहीं बनेगा। वही रोड चौड़ीकरण हो रहा है जो 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में प्रधानमंत्री सड़क योजना से कार्य हुआ है। उस समय छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी थे। स्थानीय विधायक अमितेश शुक्ला उस समय पंचायत मंत्री थे। इस प्रोजेक्ट में भौतिक सत्यापन कार्य स्टीमेट के हिसाब से जांच के लिए स्थानीय विधायक सांसद से लेकर के मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय पीडब्ल्यूडी परिवहन मिनिस्टर नितिन गडकरी के पास भी शिकायत करेंगे। नितिन गडकरी भारत सरकार के एक अच्छे मंत्री के रूप में जाने जाते हैं जो अच्छे कार्य कर रहे हैं। विपक्ष भी उनकी तारीफ करता है। एवं एनजीओ के माध्यम से भवन छतिपूर्ति में जो गड़बड़ी किए हैं उसका भी सीधे शिकायत केंद्र सरकार के मंत्री के पास करेंगे। स्थानीय जिला प्रशासन कलेक्टर गरियाबंद के पास कर चुके हैं लेकिन और आगे करना है।

जो पीडब्ल्यूडी के सरकारी एवं निजी भवन बनाए थे उसको कितना दिए और जो किनारे में कलम आ गया और पूरा बिल्डिंग तोड़ दिए उसको कितना दिए? मतलब पैसा पूरा लेना है तो अतिक्रमण करके पीडब्ल्यूडी के जगह में मकान बनाना चाहिए, उनका नियम यही है।

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