छत्तीसगढ़ आरक्षण का पेंच अभी क्या फंस गया है ?

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में आरक्षण विधेयक पास हो गया फिलहाल जानकारी मिल रहा है राज्यपाल का सिग्नेचर नहीं हुआ है विधेयक और कुछ पेंच फंस गया है। सरकार पूर्ण बहुमत में है तो आप कुछ भी पास नहीं करा सकते उसे लागू करना चुनौती होता है। पूर्ण बहुमत में तो दिल्ली की मोदी सरकार ने भी किसान काला कानून ला दिया था फिर उसको वापस लेना पड़ा।आर्टिकल 15 में है संविधान के किसी को जाति के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते। अब सवाल यह पैदा होता है अब तक आजादी के 75 साल बाद आरक्षण से किसको लाभ मिला आरक्षण से किस ने लाभ उठाया। कौन आरक्षण का लाभ ले सकता है इसका कोई पॉइंट बनाया है। बिल्कुल नहीं बना है। आरक्षण वही लोग लेंगे जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र के आधार पर। कर्म के आधार पर इतिहास में जाति बना है अब वही कर्म क्या लोग कर रहे हैं अब तो कई बदलाव हो चुके हैं कई लोग मुख्यधारा में आ चुके हैं। संविधान निर्माता का फोटो ग्लोबल न्यूज़ इसलिए लगाया है ताकि समाज को शिक्षा मिले बाबा भीमराव अंबेडकर मुख्यधारा में आ चुके थे और दलित समाज के थे। फिर उन्होंने अपने आप को बहुत धर्म में स्वीकार किया और नमो बुद्धाय और जय भीम बोलते थे। अगर छत्तीसगढ़ के विधेयक को राज्यपाल सिग्नेचर कर दिए अगर छत्तीसगढ़ से कोई अभ्यार्थी माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देता है तो वह विधेयक भी कचरे के डब्बे में चली जाएगी ऐसा संविधान के हिसाब से बात कर रहे हैं। संविधान में 50% से ऊपर के आरक्षण में कुछ पेच फंसा है। गुरु ग्लोबल न्यूज़ को भी मालूम है आदिवासी दलित एवं ओबीसी वर्ग का स्थिति आज भी खराब है आजादी के 75 साल बाद भी नहीं सुधार हुआ है। सरकार ने यह जानने की कोशिश कभी नहीं की स्थिति किसका सूधरा है किसका नहीं सुधरा है। बिना आप अध्ययन किए आरक्षण विधेयक नहीं ला सकते। आपका आरक्षण का आधार क्या है? आदिवासी दलित एवं ओबीसी वर्ग से आरक्षण का लाभ वही लोग ले रहे हैं जिनके यहां पहले से ही कोई सरकारी नौकरी या उनका आर्थिक स्थिति मजबूत है। ऐसे में आरक्षण का लाभ जो स्थिति अभी खराब है आदिवासी ओबीसी एवं दलित वर्ग से उनको लाभ नहीं मिल सकता जब तक मुख्यधारा में आ चुके इन समाज के लोगों को दायरे से बाहर नहीं करेंगे। आरक्षण विधेयक में ऐसा पॉइंट लाना होगा जिनके परिवार से कोई अब तक सरकारी नौकरी नहीं है नहीं मिला है ऐसे लोगों को आरक्षण का लाभ मिले ऐसा पॉइंट जोड़ना होगा। यह नहीं बनाया गया है मतलब आरक्षण जाति के आधार पर मिलेगा चाहे। जिसका परिवार पहले से आरक्षण में नौकरी में है तो अपने बच्चे के लिए कोचिंग में लाखों रुपए खर्चा कर सकता है लेकिन कमजोर दलित आदिवासी वर्ग नहीं कर सकता। आदिवासी दलित ओबीसी वर्ग से जो समाज में मुख्यधारा में आ चुके हैं उनको तो जनरल से बिल्कुल कर सकते हैं क्वालीफाई कर सकते हैं क्योंकि वह सक्षम है। याक एवं पंचायत में भी तो जाति के आधार पर आरक्षण है कभी सर्वे करके देखे हैं कौन लोग जनप्रतिनिधि बनते हैं आरक्षण में जिसके यहां पहले से ही संपन्न है वही लोग बनते हैं चाहे आप सर्वे करके देख ले कमजोर आदिवासी दलित वर्ग से जनप्रतिनिधि भी नहीं बनते हैं। आजादी के इतिहास में देखें आरक्षण का लाभ वही लोग ही ले रहे हैं जिनका पहले से आरक्षण में में आदिवासी दलित समाज से पिछड़ा वर्ग समाज से उनके यहां पहले से ही नौकरी में है उनके बेटे ही सरकारी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं और जो कमजोर दलित वर्ग है उनको लाभ बहुत कम मिल रहा है। एवं अभी वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार के बनाए आरक्षण विधेयक पर दलित समाज नाराज है उनका आरक्षण 16% से 12 परसेंट कर दिए हैं। जब देश में मंडल वर्सेस का मंडल की राजनीति करती थी बीजेपी कमंडल के सपोर्ट में थी यानी उच्च वर्ग के। 1990 के दशक में की बात कर रहे हैं जब वीपी सिंह प्रधानमंत्री थे कांग्रेस विपक्ष में थी उस समय ओबीसी के लिए 27 परसेंट आरक्षण आया था तो पूरे देश में बवाल हुआ था। अब सब ठीक है लेकिन जो जाति समाज वर्ग से जो मुख्यधारा में आ चुके हैं उनको आरक्षण से बाहर करेंगे तभी समाज का बराबरी हो सकती है ऐसे आरक्षण आप 100 साल भी आजादी के हो जाएगी फिर भी जो समाज है । ओबीसी दलित एवं पिछड़ा वर्ग समाज बराबरी हो ही नहीं सकता इसका कुछ पॉइंट और पेंच बनाना पड़ेगा। जाति जाति के आधार पर सरकार भी कई सब्सिडी योजना बनाती है पर सब्सिडी वही आदिवासी के जो मुख्यधारा में आ चुके हैं वही लोग ले लेते हैं जो जरूरतमंद आदिवासी है उसको लाभ नहीं मिलता यही ओबीसी और दलित के साथ हो रहा है। सरकार सब्सिडी के वजह से कर्जा में चल रही है । पहले देखें सरकार भले ही कर्ज रहे लेकिन सरकार का कर्जा का भी लाभ जरूरतमंद को होना चाहिए। इसे कोई फायदा नहीं जो मुख्यधारा में आ चुके हैं समाज के मुख्यधारा में आ चुके हैं चाहे दलित वर्ग रहो ओबीसी वर्ग रहो चाहे आदिवासी वर्ग हो। ग्लोबल न्यूज़ को ऐसा लगता है माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही सर्वमान्य होगा। उन्होंने सोच समझकर ही फैसला दिए थे। सरकार को पुनः मूल्यांकन करना होगा छत्तीसगढ़ की नहीं पूरे देश की सरकार की बात कर रहे हैं।

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