आज 7 दिसंबर दिल्ली नगर निकाय चुनाव के परिणाम में आम आदमी पार्टी के भारी-भरकम जीत से स्पष्ट हो गया। लोकतंत्र है सत्ता कभी भी पलट सकती है। नगर निकाय में भाजपा पिछले 15 सालों से सत्ता पर काबिज थी। अब आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी की ओर दिखाई दे रही है। दिल्ली के बाद पंजाब देश के 2 राज्यों में सरकार चल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी को 134 सीट बीजेपी को104सीट कांग्रेस को 9 सीट। एवं अन्य तीन सीट, 250 सीटों वाली दिल्ली नगर निगम। आम आदमी पार्टी दिल्ली में बीजेपी के ऊपर नगर निकाय चुनाव टालने का आरोप लगाती थी। आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलते ही उनको कैंडिडेट ढूंढने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जिस पार्टी में चुनाव लड़ने के लिए ज्यादा कैंडिडेट होते हैं उस पार्टी को कारपोरेट भी फंडिंग करता है। और विज्ञापन के लिए मीडिया वाले भी सपोर्ट करने लग जाता है। कहते हैं राजनीति के रेस में वही घोड़ा पर दांव लगता है जो तेज दौड़ता है और जो जीतता है आम आदमी पार्टी के साथ भी ऐसा ही होने वाला है लगता है देश की राजनीतिक भविष्य में। देश में कई पार्टियां आई पर कुछ ही राष्ट्रीय पार्टी में शामिल हो पाए। कुछ ऐसी पार्टी है जो एक ही राज्य में सीमित है। दूसरे अन्य राज्य में कुछ परसेंट वोट भी नहीं मिलता। मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी दलित वोट के लिए अन्य राज्यों में चुनाव लड़ती है पर ज्यादा सफलता नहीं मिला। दिल्ली नगर निकाय परिणाम में स्पष्ट हुआ 24 सीटें ऐसी है जिसे बीजेपी 1000 है वोटों के अंतर से जीती है। 28 सीट ऐसी है जिसमें बीजेपी आम आदमी पार्टी 1000 वोट का अंतर रहा । 2 सीट ऐसी है जिसे कांग्रेस 1000 अंतर से चुनाव जीती। फिलहाल आम आदमी पार्टी के लिए विकल्प के लिए गुड लक साबित हो रही है। 2024 के बाद लोकसभा इलेक्शन में अगर आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा तो देश के 543 लोकसभा सीटों पर ऑटोमेटिक चुनाव आयोग को उनका चुनाव चिन्ह डालना ही पड़ेगा और आम आदमी पार्टी को कैंडिडेट खोजने में ज्यादा तकलीफ उठाना नहीं पड़ेगा। राजनीति में कैंडिडेट ही मुख्य होते हैं कैंडिडेट राष्ट्रीय पार्टी होने पर सबसे अधिक मिलते हैं और 1 सीट के लिए कई कैंडिडेट तैयार होते हैं और पार्टी के लिए कार्य करते रहते हैं। फिलहाल मुख्य रूप से राष्ट्रीय पार्टी में कांग्रेस बीजेपी एवं कम्युनिस्ट पार्टी बहुजन समाज पार्टी अगर गुजरात चुनाव में अच्छे परिणाम मिल जाएंगे तो आम आदमी पार्टी को भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग को देना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि आम आदमी अजय रहेगी इस को हराया नहीं जा सकता आम आदमी पार्टी को भी हराया जा सकता है पर इसके लिए पॉलिसी चाहिए और फिलहाल आज के पॉलीटिशियन में यह पॉलिसी दिखाई नहीं दे रहा है और, आम आदमी पार्टी में ऐसे कैंडिडेट चुनाव जीत रहे हैं जिनका राजनीति से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा है। आम आदमी पार्टी के जो संयोजक है रविंद्र केजरीवाल ब्यूरोक्रेट छोड़कर राजनीति में आए हैं उनको सिस्टम चलाने का सरकार चलाने का सब चीज मालूम है इनकम टैक्स के कमिश्नर रह चुके हैं। आम आदमी पार्टी को हराने के लिए उनकी विचारधारा को अध्ययन करना होगा। विकल्प ढूंढना होगा। विकल्प ढूंढने के लिए कई पार्टी अब लग गए हैं उनके हिसाब से काम कर रहे हैं। उनका मुख्य भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अधिक चुनाव जीती है आजादी के 75 साल के इतिहास में भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कानून अभी तक नहीं बना है। सत्ता में रहने वालों को भत्ता पेंशन मिलता है सरकारी सब्सिडी और सुविधा मिलता है। आम आदमी पार्टी क्रांतिकारी भगत सिंह के विचारधारा पर चलती है। कोई गांधी के विचारधारा पर चलते हैं कोई आर एस एस की विचारधारा सावरकर की विचारधारा पर काम करती है और कोई अन्य।
बुखार उतारने में पैरासिटामाल, सत्ता का नशा उतारने में केजरीवाल।
