छत्तीसगढ़ में भी बढ़ने लग गए जमीन संबंधी क्राइम।

इतिहास में यही लिखा गया है कोई भी अपराध होता है मुख्य कारण जऱ जोरू और जमीन है। जिसमें आपसी रंजिश जोरू का मतलब है पत्नी या प्रेम प्रसंग और जमीन का मतलब ही तो पूरा आप समझते हैं। अधिकतर प्रेम प्रसंग एवं जमीन संबंधी मामले छत्तीसगढ़ में आने शुरू हो गए हैं। जिसमें मारपीट के बाद हत्या तक के मामले शुरू होने लग गए हैं। अब तो पुलिस प्रशासन के विवेक के ऊपर है कितने मामले छोटे-मोटे मामलों को पंजीकृत करती है या छोटे-मोटे मामलों को रफा-दफा करती है। पूरे देश में कहीं से भी हो पुलिस थानों में सबसे पहले मामले रफा-दफा करने की कोशिश होती है ताकि क्राइम रेट ऊपर तक दिखाई ना दे थाने की छवि खराब मत हो, सर्विस कैरियर में परेशानी होती है। जब मामला संवेदनशील दिखाई दे तभी एफ आई आर दर्ज करो यह मामला लीक हो जाए या मीडिया में आ जाए। पूरे देश में यही स्थिति है। जमीन संबंधी क्राइम बढ़ने का मुख्य कारण स्वार्थ है। जिसमें जमीन बट्टाकंन संबंधित विवाद, किसी कारणवश हिस्सेदार को सरकारी सुविधा नहीं मिल पाने के कारण विवाद आपसी भाई पिता एवं अन्य रिश्तेदारों से होता है जिसमें मामला मारपीट होते होते हैं बड़े मामले तक पहुंच जाती है। क्योंकि जिसके पास भूमि का पट्टा है उनको राजीव गांधी न्याय योजना से पैसा मिलता है किसान सम्मान निधि मिलता है नहीं मिलने के कारण उसके कारण को ढूंढते हुए विवाद बढ़ता है। यह सब पैसा सही बराबरी से नहीं मिलता है तो भी विवाद होता है मेरे हिस्से का पैसा को उसने हजम कर दिया। और आने वाला समय में जनसंख्या बढ़ गई है गांव की गली संकीर्ण हो गया है गांव में नल जल योजना से टंकी बन रहा है स्वाभाविक सी बात है पानी का रास्ता नहीं मिलेगा कीचड़ होगा ही विवाद और सामने आएंगे। यह आने वाली भविष्य का मुसीबत है। एवं अधिकतर खेतों में रवि खरीफ फसलें होने लग गई है जिसमें जानवरों संबंधी विवाद होना स्वभाविक है फसल नुकसान पहुंचने पर पशु पालक के ऊपर गाली गलौज के मामले सामने आते हैं। इन सभी आने वाले समय के भविष्य के मामलों का गुरु ग्लोबल न्यूज़ के पास बिल्कुल पॉलिसी है इसका उपाय है इसको पॉलिसी बनाकर नियंत्रण किया जा सकता है। पहले ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे मामले गांव के बैठक में निपटा कर आरोपी को आर्थिक दंड लेकर, शांति व्यवस्था बनता था अब यह नहीं हो पा रहा है अधिकतर गांव में गुटबाजी नशा बाजी के कारण गांव में बैठक असंभव होने लग गया है, गांव में फैसला अब हो नहीं पा रहा है सीधे मामले थाने तक जाने लग गए हैं। इसका एक ही उपाय है पुलिस थानों के द्वारा गांव में जन चौपाल लगाकर सुरक्षा समिति गठन करने की पहल करना चाहिए हर गांव में वालंटियर रखना चाहिए जो ऐसे मामले को शांत करा सके। अगर मामला थाना और कोर्ट तक जाता है तो आर्थिक हानि होना स्वाभाविक है।

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